पृष्ठ:यंग इण्डिया.djvu/१३८

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बंकीलों, मुवक्किलों और अदालतों के सम्बन्ध में भी कही जायगी । यदि वहिष्कार की सफलता का माप उन वकील और मुवाकिलों की संख्या समझी जाय जिन्होंने अदालत जाना छोड़ दिया है तो, जैसा कि विद्यार्थियों के सम्बन्ध में कहा गया था वसा ही यहां कहना पड़ेगा कि कार्यक्रम का यह अंश असफल हुआ । समस्त देशमें सम्भवत: कुल १२०० से १५०० तक वकीलोंने असहयोग के कारण अपनी वकालन स्थगित की । वकीलों की पूरी संख्या को तुलना में यह संख्या दाल में नमक के बरावर है । अब घरेलू बातों तथा अन्य कारणों से कुछ लोग पुनः वकालत करने लगे है, जिससे यह संख्या और भी घट गयी है । किन्तु जो लोग अदालतों के वहिष्कार की अपनी प्रतिज्ञा पर अभीतक आरूढ़ हैं, उन्होंने इस आन्दोलन को अमूल्य लाभ पहुंचाया है । जो लोग अब भी वकालत कर रहे हैं, उन्होंने बड़ी संख्या में इस आन्दोलन का, खासकर इसके रचनात्मक अंशका, भिन्न भिन्न रूपों से समर्थन किया है । उन्होंने तिलक-स्वराज्य कोष में अच्छा चन्दा दिया है । इससे प्रगट होता है कि वकील का पेशा करनेवाले प्रायः सभी लोगोंने असहयोगका भाव भलीभांति ग्रहण कर लिया है । वकीलों की चन्द संस्थाओं ने सबल और स्पष्ट शब्दों मे सरकारी दमन नीति के विरुद्ध प्रस्ताव पास किये, कलकत्ता की बार लाइब्रेरी ने इसीके विरोध में लार्ड रेडिङ्ग को भोज देने का विचार भी त्याग दिया,मद्रास के वकीलों की संस्थाने