सामग्री पर जाएँ

पृष्ठ:यंग इण्डिया.djvu/१८६

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
१३
सत्याग्रहकी मीमांसा

प्रश्न-सत्याग्रहकी प्रतिज्ञाद्वारा क्या आप उस व्यक्तिके आत्मनिर्णयपर प्रतिबन्ध नही रख रहे हैं ।

उत्तर-सत्याग्रह की जो व्याख्या मैंने की है यदि आप उस पर गौरसे विचार करें ता आपको निश्चय हो जायेगा कि आपकी यह धारणा निर्मूल है। यदि आप यह दिखला दें कि मैने सत्याग्रह प्रतिज्ञाकी व्याख्या गलत तरीकेसे की है तो मैं उसका संशोधन और सुधार करनेके लिये तैयार हूं (इतना सुनकर लार्ड हण्टरने कहा, नहीं मिस्टर गांधी, मेरा यह अभिप्राय नहीं है ), मैं चाहता हूं कि मैं कमेटीके हृदयमेसे यह बात निकाल दूं कि सत्याग्रहका सिद्धान्त किसी भी प्रकार भया- वह है और यह सिद्ध करके दिखला दूं कि इसका प्रधान और सर्व प्रथम लक्ष्य देशमेसे हिसाके भावको दूर कर देनेका है।

इसके बाद लाड हण्टरने संक्षिप्तमे उन अवस्थाओंका वर्णन किया जिनके कारण रौलट ऐकृका निर्माण हुआ, भारतीयोंके एकमत होकर इसके विरोध करनेका वर्णन किया। इसके बाद उन्होने महात्मा गांधीसे पूछा कि इसके निर्माणमे क्या आपत्ति थी जो लोगोने इसका इस तरह विरोध किया।

उत्तर-मैंने रौलट कमेटीकी रिपोर्टको शुरूसे अन्त तक पढ़ा और उन कानूनोंपर भी विचार किया जिनके निर्माणका शिफारिस की गई थी। पूरी तरहसे विचार करनेके बाद मैं इस परिणाम पर पहुंचा कि कमेटीने अपनी रिपोर्ट में जिन बातोंका उल्लेख किया है वास्तवमें उनका कहीं नामो निशान