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अफ्रिकाकी अवस्था देखने के लिये वहां गये। जेनरल स्मट्-
सने ३ पौण्ड वाला कर उठाना स्वीकार नहीं किया इससे
सत्याग्रह पुनः जारी किया गया। इसी समय भारतमें भी इसके
प्रति घोर आन्दोलन उठा। इस समय उदार हृदय लार्ड र्हाडिज
भारतके बड़े लाट थे। उन्होंने भारतीयोंका पक्ष लिया और
बार प्रयत्न किया। परिणाम शुभ हुआ। सत्याग्रहकी विजय
हुई, अफ्रिकन सरकारको नीचा देखना पड़ा। सभी अनुचित
कानून उठा दिये गये। इन कामोंसे छुट्टी पाकर महात्मा-
जी १९१४ में इङ्गलैण्ड पहुंचे। इस समय जर्मन युद्ध आरम्भ
हो गया था। महात्माजीने लण्डनस्थ भारतीयोंका एक स्वयं-
सेवक दल तैयार किया। और सरकार की सहायता की।
१९१२ मे अस्वस्थ रहने के कारण वे देश लौट आये। भारतकी
राजनीतिकी विपन्न हालत देखो। उसके सुधारकी आवश्य-
कता और उपाय सावने लगे। १९१९ में युद्धमें योग देनेका
साद भारतीयोंको रौलट ऐक्ट मिला। सारे देशने एक
स्वरसे इसका विरोध किया पर सरकार कब सुननेवाली
थी। महात्माजीने नोटिस दी कि यदि रौलट ऐकृ पर बड़े
लाटने अनुमति दी तो मैं सत्याग्रह युद्ध जारी कर दूंगा पर
कौन सुननेवाला था। गैरसरकारी सदस्योंके एक मत होकर
विरोध करने पर भी रौलट ऐक्ट पास हो गया और बड़े
लाटने अपनी अनुमति भी दे दी।
महात्माजीने सत्याग्रह युद्धकी घोषणा कर दी। उसके