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पृष्ठ:यंग इण्डिया.djvu/१८

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ढोने का भार अपने ऊपर लिया। उसी समय उन्होंने अफ्रीकन सरकारके विरुद्ध उन कानूनोंको उठा देनेके लिये भी आन्दो- लन जारी किया जो भारतीयों के प्रतिकूल बने थे। उनका सन्तोषजनक सुधार नहीं हुआ। लाचार होकर उन्होंने निष्क्रिय- प्रतिरोधका युद्ध आरम्भ कर दिया। जिसके कारण उन्हें तीन बार जेल की हवा खानी पडी। अन्तमें जनरल स्मस्टसको दखना पड़ा और उन्होंने महात्माजीके साथ समझौता किया और उन अपमानजनक और अनुदार कानूनों को उठा दिया जिनके कारण यह आन्दोलन आरम्भ किया गया था। इस समझौतेका अर्थ गान्धीजीके साथियोंने उलटा समझा। उन्हें सन्देह हाने लगा कि महात्माजी अग्रेजोंसे मिल गये और अपने साथियोंके साथ विश्वासघात किया। एक पठान तो इतना उत्तेजित हो गया कि उनके प्राण लेने के लिये उतारू हो गया। उसने महात्माजीको इतना पीटा कि उन्हें हफ्तों तक खाट सेनी पड़ी। जेनरल स्मट्सने अपनी बात न रखी। लाचार होकर महात्माजीको पुन: युद्ध जारी करना पड़ा। सत्याग्रह संग्राम आरम्भ हो गया। महात्माजी पकड़े गये और जेल में भर दिये गये। उसी समय १९०८ में उन्होंने 'हिन्द स्वराज्य' नामकी पुस्तक लिखी। १९०९ में वे इङ्गलैण्ड गये और वहाके लागोंके सामने दक्षिण अफ्रिका भार- तीयों की शिकायतें पेश की। १९११ में जेनरल स्मट्ससे पुनः समझौता हुआ। उसी समय स्वर्गीय गोखले दक्षिण