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सत्याग्रहकी मीमांसा


कतार बांधकर जाते देखकर मैं चकित हो गया। मेरी तो यही धारणा है कि यदि सत्याग्रहके व्रतको उचित तरहसे शिक्षा न दी गई होती तो इतनी शान्तिके साथ हड़तालका निस्पादन असम्भव था। पर मैंने अभी बतलाया है कि हड़ताल और सविनय अवज्ञामे किसी तरहका भी व्यवहारिक सबंध नहीं है।

इसके बाद लार्ड हएटरके प्रश्नोंका उत्तर देते हुए महा- त्माजोने अपनी गिरफ्तारीके सम्बन्धकी सभी बात कह सुनाई। उन्होंने कहा कि पलवालमे मुझे रोकना और वहांले पुलिसकी निग. रानीमे मुझे बम्बई लौटाना गिरफ्तारीके अतिरिक्त और क्या कहा जा सकता है। पर मुझे यह जानकर आश्चर्य हुआ कि कहीं कही लागोने इस गिरफ्तारी नही बतलाया है बल्कि गिर- फ्तारीकी सम्भावना लिखा है। पलवालमे मुझपर नोटिस जारी की गई कि आप पञ्जाब और दिल्लाके अन्दर नहीं घुस सकते और बम्बई प्रान्तके आगे नहीं बढ़ सकते। जिस अफसरने यह नोटिस तामील की बड़ा ही सभ्य था। नोटिस पढ़कर मैंने पुलिसके अफसरसे साफ साफ कह दिया कि मैं इस आशाको स्वीकार करनेके लिये तैयार नहीं हूं। दिल्ली और पञ्जाब जाना मैंने निश्चय कर लिया है। मेरा उत्तर सुनकर उसने मुझसे कहा कि मिस्टर गांधी, इस अवस्थामें ऐसे छोटे स्टेशनपर हमे आपको गिरफ्तारकर बड़ी असु. विधामें डाल देना होगा; जब मै पलवाल पहुंचा तो पुलिस सुपरिएटण्डएट दिल्ली अपने आदमियोके साथ वहां मौजूद थे।