उत्तर-यदि आचरण न्याय पूर्ण है तो उसमें संख्याकी कोई अवश्यकता नही ; और उन मामलोंमें प्रत्येक आदमी चाहे वह ऊंच हो या नीच अपने दुःखोंका प्रतीकार करा सकता है।
प्रश्न-पर आप इतनी चेष्टा तो अवश्य करना चाहेंगे कि आपके आन्दोलनमें यथासाध्य अधिकाधिक आदमी शामिल हो जायं?
उत्तर-यह कोई आवश्यक नहीं। सत्याग्रहीकी विजय तो सच्चाई और उसके लिये संकट भोगनेके लिये उसके साहस पर निर्भर है।
प्रश्न-महात्माजी, मेरी समझमे यह नहीं आया कि राज- नैतिक क्षेत्रमें एक आदमीकी बातें कौन सुनेगा ?
उत्तर-इसी धारणाको गलत सावित करनेकी तो मैं चेष्टा करता आ रहा हूं।
प्रश्न-क्या आपका हृढ़ विश्वास है कि कोई भी अंग्रेजी अफसर इस तरहके एकाकी प्रयासकी जरा भी परवा करेगा और उसपर ध्यान देगा?
उत्तर- मेरा अनुभव तो यही कहता है। इतिहास भी इस बातकी साक्षी देता है। केवल एकमात्र श्रीकेशवचन्द्र सेनके प्रयाससे लाड बेनटिंक, लार्डसे मिस्टर हो गये।
प्रश्न-पर केशवचन्द्र सेन असाधारण जीव थे।
उत्तर-असाधारण व्यक्ति कोई अलग नहीं उत्पन्न होते ।
कोई भी साधारण व्यक्ति अपने चरित्र बलका संगठन करके उस