पृष्ठ:यंग इण्डिया.djvu/२२४

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ प्रमाणित है।
६१
सत्याग्रहकी मीमांसा

उत्तर---उसके विरोधका प्रधान कारण यह है कि उसके अन्तर्गत समस्त भारतके ऊपर कलंककी भावना है।


प्रश्न---आप जानते हैं कि राज्यमे सबकी रक्षाकी उचित व्यवस्था रहती है ?


उत्तर---बचावकी मर्यादाके विषयमें यदि मेरी राय चाहते है तो मैं यही कहूंगा कि मेरा अनुभव तो यही कहता है कि वे केवल दिखौआ और भ्रमात्मक ही नहीं है वल्कि भयानक फन्दे हैं जिसमें जाकर लोगोंके फंसनेकी अधिक सम्भावना रहती है। ये तो एक तरहके भ्रमजाल हैं और इनसे प्रबन्धकोंकी उच्छृ. बलता और भी अधिक बढ़ जाती है ।


प्रश्न---लोगोंका कहना है कि सत्याग्रह आन्दोलनसे सर-कारके हाथपांव बंध जायंगे। क्या आपको अपनी कारवाई- से इस बातकी आशंका नहीं है ?


उत्तर---सरकारको तङ्ग करना या उसका हाथपांव बांधकर उसका काम बन्द कर देना सत्याग्रह आन्दोलनकी आन्तरिक इच्छा नहीं है। इस कामके लिये तो अन्य साधारण राजनैतिक आन्दोलन चलाये जा सकते हैं । यदि सत्याग्रही देखता है कि उसकी कार्यवाहीसे सरकार तङ्ग हो रही है तो उसका सामना करनेसे भी नहीं डरेगा ।


प्रश्न---मेरी धारणा है कि प्रत्येक राजनैतिक आन्दोलनकी सफलता उसके अनुयायियोंकी संख्यापर निर्भर करती है। मैं समझता हूं इस विषयमें आप मुझसे सहमत होंगे ?