उत्तर---उस बातपर मेरा दिल नही जमता और न मुझे इसकी सम्भावनापर ही विश्वास होता है । इङ्गलैण्डमें अबतक यह बात देखनेमें आती है कि कभी कभी मंत्री जनताका पूरा विश्वास खोकर भी अपने पदपर कायम रह जाते हैं । तो क्या इस बातकी इस देशमें और भी अधिक सम्भावना नहीं है। ऐसी दशामें स्वराज्य हो जाने पर भी सत्याग्रहको आवश्यकता पड़ सकती है।
प्रश्न---क्या आप चाहते है और समझते हैं कि सत्याग्रह आन्दोलनके आरम्भ हो जाने पर किसी तरहकी अशान्ति नहीं उत्पन्न हो सकती?
उत्तर---नहीं, मेरा ऐसा विश्वास नहीं है। यदि मेरी और श्रीमती अनुसूयाकी गिरफ्तारीपर किसी तरहका क्षोभ न उत्पन्न हो तो मुझे आश्चर्य और असन्तोष होगा। पर वह क्षोभ या अशान्ति हिंसाका रूप नही धारण करेगी। सत्याग्रही दूसरेको यन्त्रणा सहते नही देख सकता। इसलिये एकके बाद दूसरा सत्याग्रही जेल जानेकी चेष्टा करेगा। इस तरहको गिरफ्तारीको मैं सदा प्रोत्साहन देता रहता हूँ।
प्रश्न---११ अप्रेलका बम्बई पहुचकर आप पिढोनी क्यों गये?
उत्तर---वहांसे हिंसा और उपद्रव आरम्भ होनेकी सम्भावनाके समाचार आये। इसीलिये मैं वहां गया।
प्रश्न-मैंने सुना कि वहांकी जनताने आपको बातें न सुनो ?
उत्तर---यह कहना अनर्गल है कि वहांकी जनताने मेरी बातें