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मार देशभक्त मुसलमान मिस्टर कुरेसीने लिया। सरकार का उत्साह भङ्ग नहीं हुआ था। उसने दूसरी बार भी अपना बार चलाया और इन लोगों को भी अपने फौलादी पंजे में बांध लिया। इस बार प्रोफेसर देसाई बंसीलाल, खामी मानन्दानन्द नथा सम्पादक मिस्टर कुरेमी सभी साबरमती जेल में हँस दिये गये।
वर्तमान समयमें इस पत्रका सम्पादन देशभक्त और कहर असहयोगो श्रीयुत चक्रवर्ती राजगोपालाचारी कर रहे हैं और मुद्रक तथा प्रकाशन को सारी जिम्मेदारी महात्माजी के द्वितीय पुत्र रामदास गांधी ने ली है।