सामग्री पर जाएँ

पृष्ठ:यंग इण्डिया.djvu/२४

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
भूमिका

असहयोग आन्दोलने के विरोधियों ने इसपर अनेक तरह के आक्षेप किये हैं। किसीने कहा है कि यह अधीरता का नमूना है, किसी ने कहा है यह अराजकता का सिद्धान्त है, इससे समाज जड हो जायगा। इस आन्दोलन के प्रचारकों पर जो आक्षेप किये गये है उनको तो चर्चा ही नहीं करनी है। इसके प्रवर्तक महात्मा गांधी पर यह दोषारोपण किया जाता है कि उन्होंने अपने अभिमत टालस्टाय के सिद्धान्तों के प्रचार के लिये यह जरिया निकाला है और इसके मायाजाल में मुसलमानों तथा कांग्रेस को फंसा लिया है। कहा जाता है कि जिन उद्देश्यों से कांग्रेस की स्थापना की गई थी वे दूर फक दिये गये और उसे इस समय इतने अगाध सागरमें छोड दिया गया है कि उसका कोई पारावार नहीं है।

कांग्रेस के प्रवर्तकों तथा असहयोग आन्दोलन के सञ्चालकों पर जो कटाक्ष किये गये हैं उनके उत्तर देने का यह स्थान नहीं है। सविनय अवज्ञा जांच कमेटोने असहयोग के वर्णन में इन सबोंका पर्याप्त उत्तर दे दिया है।