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सत्याग्रह आंदोलन


आन्दोलनकी ही बरकत थी कि सरकारकी इस प्रकार की अनुचित कार्रवाईयोंके होनेपर जो परिणाम निकलता वह न घटित हो सका। इसमें कोई सन्देह नहीं कि लोगोंके हृदयोंमे कानुनको तर.फसे एक प्रकारका जो हौआ समाया था वह तो दूर होगया, पर उनके हृदय में कानूनकी ओरसे एक प्रकार की असीम श्रद्धा उत्पन्न हो गई है। क्योकि वे लोग समझने लग गये है कि समाजकी स्थिति और उसकी उन्नतिके लिये कानूनकी आवश्यकता अति प्रबल है ।" सत्याग्रही रायके कानूनों का इस भयसे स्वीकार नहीं करता कि अन्यथा वे उसपर जवर्दस्ती मढ़ दिये जायेंगे बल्कि इस लिये कि वह जिस समाज में रहता है उसके हित तथा कल्याणक लिये वह उन्हें आवश्यक समझता है, और यदि कभी अपना मर्याद तथा आत्मगौरवको रक्षाके लिये वह किसी कानूनी ताड़ता है तो वह अपनी कार्रवाई खुली रखता है और शान्ति भंग नहीं होने देता। इसलिये उसकी कार्रवाई से सरकारको तंग होनेका भय नहीं रहता। दक्षिण अफ्रिका, चम्पारन तथा खैरागढ़के अपढ़ किसानोंने जिस दृढ़ता तथा वीरताके साथ इस आन्दो लनका पकड़ा था उसका इतिहास पढ़कर सत्याग्रहके आत्म निग्रहपर किसी तरहका सन्देह नही रह सकता। रौलट ऐकृके विरोधके अवसरको ही ले लीजिये। सरकार की तरफसे उत्ते. जनाके प्रत्येक साधन संग्रह कर दिये गये थे पर जनता अन्त तक शान्त रही, सत्याग्रहकी शान्तिप्रियताका ज्वलन्त उदाहरण उपस्थित किया और यदि कहीं एकाध स्थानोंपर लोगोंने आत्म