पृष्ठ:यंग इण्डिया.djvu/२४४

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
लीडरकी भूल
८१
 

संयम खो दिया और उपद्रव कर बैठे तो वहां भी सत्याग्रहियों की तरफ से कुछ नहीं हुआ था। उस अवस्था में भी वे न्याय की मर्यादा पालते ही जा रहे थे। लीडरने लिखा है-'इन उपद्रवोंकी सारी जिम्मेदारी सत्याग्रह आन्दोलन के ऊपर है। यदि आज सत्याग्रह जारी न किया गया होता तो इस तरहके उपद्रवों के उठनेकी सम्भावना ही न थी।' पर वास्तव में बात ऐसी नहीं है। उपद्रव होने को प्रधान कारण यह हुआ कि लोगों ने सत्या- ग्रहका पूरी तरहप्ते प्रचार नहीं किया और लोगों में अभी तक इतनी सहनशीलता नही आ गई है।

इन बातों के उल्लेख कर देने के बाद भी क्या लोडर को यही धारणा बनी रहेगी कि सत्याग्रह आन्दोलन-जिसका आधार सत्यबल और अहिंसा है-जनता मे प्रचार करने योग्य नहीं है। यदि अब भी उसकी यही धारणा रह गई तो हमे वाध्य होकर लिखना पड़ेगा कि उसमें न तो मानव प्रकृति को समझने की योग्यता है और न उसका इसमें विश्वास है कि भलाई बुराई पर अवश्य विजय पा सकती है।