सामग्री पर जाएँ

पृष्ठ:यंग इण्डिया.djvu/२४८

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
८५
छठी और तेरहवीं अप्रेल


तत्परता दिखानेसे ही राष्ट्रका उत्थान हो सकता है न कि बदलेकी आगमें जलनेसे। उस दिन हमे जनताको ओरसे की गई ज्यादतियों और उपद्रवोको भी स्मरण करना चाहिये। और उसके लिये खेद प्रगट करना चाहिये तथा पश्चात्ताप करना चाहिये। शामका भारतके प्रत्येक स्थानमें सभा कर ब्रिटिश तथा भारत सरकारसे प्रार्थना करनी चाहिये कि वे समुचित कारवाई द्वारा इस तरहकी दुर्घटनाओंका होना सदाके लिये असम्भव कर दें।

इस सप्ताहमे सत्याग्रहके सिद्धान्तोंका ज्ञान प्राप्त करनेकी भी पूरी चेष्टा करनी चाहिये। हिन्दू मुस्लिम एकताको बढ़ाना चाहिये और स्वदेशीका प्रचार करना चाहिये । हिन्दू मुस्लिम एकताको बढ़ानेके लिये १२ वो अप्रेल शुक्रवारको सात बजे शामका हिन्दू मुसलमानोंका महतो सभा होनी चाहिये और भारत सरकार तथा ब्रिटिश सरकार पर इस बातका दबाव डालना चाहिये कि खिलाफतका प्रश्न मुसलमानोंकी धार्मिक व्यवस्थाके अनुमार हल किया जाना चाहिये ।

इस प्रकार यह राष्ट्रीय सप्ताह आत्माकी पवित्रता, परीक्षा. आत्मत्याग, नियन्त्रण तथा राष्ट्रीय उदार भावोंकी घापणामें बिताना चाहिये। मनोमालिन्य, विद्वोप, तथा क्रोध मनसा, वाचा या कर्मणा किसी भी प्रकार न प्रगट किया जाना चाहिये।

कितने लोगोंने पूछा है कि छठी ओर तेरहवींको हड़ताल