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पृष्ठ:यंग इण्डिया.djvu/२५९

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'आंदोलनका अपमान'


मार्च २४, १९२० के यंग इंडियामें महात्मा गांधीने निम्न लिखित लेख प्रकाशित किया है :-

अहमदाबादके जिला मजिस्ट्रेटने सत्याग्रह व्रत धारण करनेके अपराधमे १७ वकीलोंपर अभियोग चलाया था उसके सम्बन्धमें जिलाधीश तथा वकीलोंमें पत्र व्यवहार हुआ था । यङ्ग इण्डियामे वे पत्र प्रकाशित कर दिये गये थे और सम्पाद- कीयमें उनपर नोट भी लिखा गया था। इसपर यङ्ग इण्डिया- के सम्पादक और प्रकाशकपर मुकदमा चलाया गया था । उमका विचार हो गया और फमला भी सुना दिया गया । अदालतने सम्पादक तथा प्रकाशकको किसी प्रकारका दण्ड न देकर केवल उन्हें कड़ी चेतावनी दे कर छाड दिया। हमारी इच्छा होती है कि हम उम फैसले पर दो चार शब्द लिखें क्योकि सत्याग्रहीके हैसियतसे हम उसमेले कुछ शिक्षा निकालना चाहते हैं। उस समय हमारे कितने हो घनिष्ट मित्रोंने हमे यही राय दी कि हम दोनों (सम्पादक और प्रकाशक ) खुली अदालतमें क्षमा मांग लें। पर हमलोगोने ऐसा करना स्वीकार नहीं किया। इसमे हमलोगोंकी जिद नहीं थी बल्कि हमने देखा कि ऐसा करनेसे एक बड़े सिद्धान्तकी हत्या हो रही है । उस समय हमें कानूनको मार्यादा रखते हुए सम्पादककी स्वत-