रूपमें हुआ था । हमारी समझमें तीनों प्रस्तावों का निम्नलिखित कप होना चाहिये ।
छठी अप्रेल
अमुक नगरके निवासियोंकी यह सभा अपना ढृदमन प्रगट करती है कि जबतक रौलट ऐकृ उठा या रह नहीं कर दिये जाते तबतक देशमें शान्तिकी स्थापना नहीं हो सकती और इसलिये यह सभा भारतसरकारसे प्रार्थना करती है कि वह यथाशीघ्र इस कानून को रद्द करनेकी व्यवस्था करदे ।
हवीं अप्रेल
अमुक स्थानके हिन्दूमुसलमान तथा अन्य जातियोंकी यह
सभा पूर्ण विश्वास करती है कि खिलाफतका प्रश्न भारतीय
मुसलमानोंकी न्याययुक्त मागोंके अनुसार निपटाया जायगा और
युद्धकालमें ब्रिटिश साम्रा के मन्त्रीने भारतीय मुसलमानोको
जो पचन दिया था उसका पूणत पालन किया जायगा। यह
सभा इस निमित्त यह घोषणा करती है कि यदि भारत सर-
कारने इसके विरुद्ध आचरण किया ता प्रत्येक भारतवासीका
धर्म होगा कि वह सरकारके साथ तबतक सहयोग करना
छाड़ दे जबतक वचन पूरे न किये जायं और मुसलानोंकी
धार्मिक अशान्तिका शमन न किया जाय ।