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पृष्ठ:यंग इण्डिया.djvu/२७६

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सफाई

(फरवरी २५, १९२०)

एस० डवल्यू क्लोम्स के साथ महात्मा गांधी का जो वार्तालाप हुआ वह पहले पहल लखनऊ के इण्डियन विटनेस नामक पत्र में प्रकाशित हुआ था और बादको वही यंग इंडिया में उद्धृत किया गया:——

प्रश्न——मिष्टर गान्धी, पूर्वीय देशों के——विशेषकर भारत के——विकास के लिये पश्चिमी राष्ट्र क्या योगदान कर सकते हैं?

उत्तर——भारत इस समय अचेत पड़ा है। उसमें अनेक ऐसी बातें आ गई हैं जो निरर्थक और अकारण हैं। पाश्चात्य राष्ट्रों के पर्यवेक्षण से हमने दो बातें सीखी हैं। एक तो निर्मलता और दूसरी शक्ति। हमारा दृढ़ मत है कि जबतक भारत के लोग निर्मलता नहीं सीख लेते भारत का आत्मिक उद्धार नहीं हो सकता। पश्चिम के लोगों में बड़ी स्फूर्ति होती है। पर उन्होंने भौतिक पदार्थ के लिये ही अपनी शक्ति का प्रयोग किया है। यदि भारत के लोग शक्ति सम्पन्न हो जायं और उसका सदुपयोग करें तो उन्हें अधिक लाभ हो सकता है।

प्रश्न——क्या आप बतला सकते हैं कि वर्तमान राष्ट्रीयता के भाव के आधार पर ईसाईधर्म से भारत का क्या उपकार हो सकता है?