उत्तर-हमें सहानुभूतिको सबसे अधिक आवश्यकता है। जिस समय मैं अफि कामे था मुझे यह अनुभव हुआ। जो लोग जलके निर्मल सोतका दर्शन करना चाहते है उन्हें गहरा कुआं खोदना चाहिये । जो लोग हमारे देशमे आकर यहांके निवासियों-का परिचय पाना चाहते हैं वे केवल ऊपरकी मिट्टो ही हटाकर काम चला लेना चाहते है। यदि सच्ची सहानुभूति दिखाकर वे अन्तस्तलतक प्रवेशकर जाये तो उन्हें विदित होगा कि वहाँ निर्मल जलका झरना बह रहा है
प्रश्न-क्या आप बतला सकते हैं कि किन पुस्तकों और मनुष्योंने आपको सबसे अधिक भावान्वित किया है। (मुझे पूर्ण माशा थी कि महात्माजी वेद या अन्य धर्मग्रन्थोंका नाम लेंगे। पर उनका उत्तर सुनकर मैं चकित हो गया ।)
उत्तर-मैं निरर्थक पढ़नेवालोंमे नहीं हूं। मैंने केवल चन्द चुनी किताबे पढ़ी हैं । बाइबिल, रस्किन और टालस्टाय हमारी प्रधान पाठ्य पुस्तकें हैं। कभी कभी मैं किसी निर्णय पर न पहुंचनेके कारण निश्चेष्ट हो जाता था। उस समय मैं बाइबिल उठाकर पढ़ता और आश्वासन ग्रहण करता।