भाषा बनाना, और भाषा के आधार पर प्रान्तों का संगठन है । यदि मैं इसके सदस्यों को अपने मत का बना सका तो मैं लीग-का ध्यान इन बातों पर आकृष्ट करूंगा ।
मैं यहीं पर स्पष्ट कह देना चाहता हूं कि मेरी राष्ट्रीय संगठन की व्यवस्था में सुधारों को गौण स्थान दिया जायगा । इसका कारण यह है कि यदि देश ने मेरी व्यवस्था स्वीकार कर की और इसमें तत्परता दिखाई तो सारे अभिवाञ्छित सुधारो की योजना हो जायगी और पूर्ण स्वाधीनता की प्राति भी इसके द्वारा कम से कम समय में हो सकती है । मुझे पूर्ण विश्वास है कि इन उपायों के अवलम्वन से स्वराज्य प्राप्ति का मार्ग सरल हो जायगा । इसी उद्देश्य से मैं इस मन्तव्य को लीग के सामने रख रहा हूं। मैं लीग को किसी व्यक्ति या दल विशेष की संस्था नहीं समझता । आज तक न तो मैं किसी दल विशेष. में रहा हूँ और न दलबन्दी में मेरा विश्वास है । भविष्य में भी मैं किसी दल विशेष का होकर नहीं रहना चाहता । होमरूल लीग के उद्देश्यों में कांग्रेस के उद्देश्य को बढ़ाने की भी शर्त है पर मैं कांग्रेसको भी दल विशेष की संस्था नही मानता । जिस तरह ब्रिटिश पार्लिमेण्ट सदा किसी न किसी दल विशेष के हाथ मे रहती है पर वह अभी भी दल विशेष की संस्था न कहलाकर सारे इङ्गलैण्ड निवासियों की संस्था कहलाती है उसी तरह कांग्रेस यद्यपि अवस्था भेद के कारण दल विशेष के हाथ में हो जाती है पर वह सारे भारतवासियों की संस्था है ।