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पृष्ठ:यंग इण्डिया.djvu/३३०

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लाला रामसिंह ।

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( दिसम्बर १०. १९१९ )

गुजरानवालाके बैरिस्टर लाला लाभसिंहको सैनिक अदालत ने आजन्म कालापानी और सम्पत्ति अपहरणका दण्ड दिया। बादको उनका दण्ड घटा कर । मासकी सजा कर दी गई। दण्डको भोगकर वे अब आ गये हैं। जेलमेंसे न्यायके लिये लाला लाभसिंहने बड़े लाटके पास प्राथनापत्र भेजा था। उसमें उन्होंने साहमके साथ लिखा था :---केवल मियाद घटा देनेसे ही मुझे सन्ताष नहीं हो सकता और न यह मेरे ऊपर किये गये अन्यायका परिमार्जन कर कता है और न न्यायका असली रूप प्रगट कर सकता है।" ऐसे व्यक्तिके लिये जेलसे छुटकारा पाना किसी भी प्रकार शान्ति प्रद नही हो सकता। पाठकोंको स्मरण होगा कि लाला लाभचन्दपर अभियोग केवल मरकारी गवाहके बयानपर चलाया गया था और उन्हें तथा उनके साथी अन्य अभियुक्तों को इस बात का भी अवसर नहीं दिया गया था कि वे उसके चाल चलनके बारेमें भी जिरह करते। इतनेपर भी जजोंने लाभसिंहके खिलाफ केवल इतना ही लिखा था:--- "अभियुक्त न० ४ लाभसिंहने रौलट ऐकृके विरुद्ध आन्दोलन करने में प्रधान भाग लिया था और १२ तथा १३ अप्रेलको सभामें