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पंजाबकी दुर्घटना


जानता हूं कि राष्ट्रीय महासभाका यही उद्देश्य नहीं था। मैं यह नहीं कह सकता कि लोगोंके हृदयमें रोष नहीं था। जो कुछ विद्वेषके भाव थे, व्यक्त थे। पर स्मृति चिह्नसे उनसे कोई सम्बन्ध नहीं था। जनताको उन जालिमोंकी जालि- माना कार्रवाईको भूल जाना चाहिये । जो कुछ जेनरल डरायरने किया था हम भी कर सकते हैं यदि हम उतने ही उच्छृखल हो जायं और अवसर पा जायं । मनुष्यसे भूल हो ही जाती है पर मनुष्यको भूल जाना चाहिये। यदि हम चाहते हैं कि हमारी भूलको लोग भूल जाये, हमें क्षमा कर दें और बार बार उसका स्मरण न दिलाया करें तो हमें अपने शत्रुओंको भा क्षमा कर देना चाहिये। पर इसका यह अभिप्राय नही है कि हम जेनरल डायरकी बरखास्तगी के लिये जोर न दें। यदि हमारा पड़ासी पागल हो गया है और हमें सताता है तो हम उसे वहां कभी नहीं रहने देंगे । पर जिस तरह हम उस पागलके प्रति किसी तरहका दुर्भाव नहीं रखते उसी तरह जेनरल डायरके प्रति भी किसी तरहका दुर्भाव नहीं रखना चाहिये। इसलिए स्मारकमे हम दुर्भाव और विदूषके किसी तरहके भावको स्थान नहीं देना चाहते बल्कि उसे परम पवित्र मन्दिर और तीर्थक्षेत्र बना देना चाहते हैं जहां प्रत्यक व्यक्ति विना किसी तरहके जात पातके भेदभावके दर्शन करनेके निमित्त जा सके। मुझे आशा है कि प्रत्येक अंग्रेज सच्चे हृदयसे मेरी इस बातका