समर्थन करेगा, चन्दा आदि देकर इस सत्कार्य में योगदान
करेगा और हमलोगों को आत्मोन्नति में यथासाध्य सहायता करेगा
और हमें उस स्वतन्त्रताके मन्दिर तक पहुंचने में सहायता देगा,
जिसका वह स्वयं उपभाग करता है, हिन्दू मुसलमानों की एकता में सहायता देगा क्योंकि विना इसके भारतकी सखी सन्नति हो ही नहीं सकती।
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( अक्टूबर १५, १९१९ )
बिहारीलाल सच्देवकी अवस्था केवल २४ वर्षकी है। वह
गुजरानवालाका रहनेवाला है। उसके अलावा उसके घरमें
उसकी युवती स्त्री और ७२ वर्षके वृद्ध पिता हैं। इसपर भी
बगावतका अभियोग चलाया गया था और सैनिक अदालत ने
इसे दोषी ठहराकर आजन्म कालापानी तथा सम्पत्ति हरण का
दण्ड दिया था। उसने पंजाब के छोटे लाटके पास प्रार्थनापत्र
भेजा जिसपर कालापानी का दण्ड हटाकर उसे चार वर्षका
कारावासका दण्ड मिला। जिस अभियुक्तने काई दोष नहीं किया, उसे भला इससे क्या तसल्ली मिल सकती है और वृद्ध पिताकी अवस्थाका वर्णन करना ही कठिन है, जिसे मरते समय इतनी भीषण विपत्तिका सामना करना पड़ा हो।