नैतिक कैदियोंको छोड़ने में भी उदारता दिखलाती भाई है विना
किसी विचारफे इन अभियुक्तोंको छोड़ देगी और समस्त भारत-
के निवासियोंका कृपापात्र बनेगी। यह विजयका अवसर है।
अपीलका खारिज हो जाना भारत सरकारके लिये विजयके
बराबर है। ऐसे अवसरोंको उदारता बड़ी ही कारगर होती
है और विचित्र प्रभाव उत्पन्न करती है।
हम अपने पंजाब भाइयोंसे प्रार्थना करेंगे कि वे हताश न हों। हमें शान्ति पूर्वक इससे भी बुरी दुर्घटनाके लिये तैयार रहना चाहिये। यदि विचार ठीक हुआ है, यदि इन अभियुक्तों- ने वास्तवमें जान ली है, माल बरबाद किया है अथवा जान माल लेनमे सहायता दी है तो इन्हें अवश्य दण्ड मिलना चाहिये। यदि वे लोग निर्दोष है-यदि उन्होंने ऐसा आचरण नहीं किया है जैसा कि हम लोगों को विश्वास है कि इनमेंसे अधिकांशने नहीं किया है-तोभी हम लोगोंका इस तरहके दण्डोंका सामना करना हागा क्योंकि जो एक कदम आगे बढ़ना चाहते हैं उनकी यही दशा होती है। ससारका इतिहास कम- से कम यही बताता है। यदि हम लोग उठना चाहते हैं तो इसके लिये त्याग करनेसे क्यो भागें? विना बलिदानक राष्ट्रका उत्थान नहीं हुआ है और न हो सकता है। महां निर्दोपका खून गिरता है वही बलिदान चरितार्थ होता है। अभियोग करके खन बहानेको बलिदान नहीं कह सकते।
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