पृष्ठ:यंग इण्डिया.djvu/३५८

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पंजाबकी दुर्घटना

किया था कि मैंने मुकदमेका विचार किया! प्रायः १०० गवाहों के बयान लिये और अभियुक्तोंको अधिकसे अधिक दण्ड दिया। और मैंने समझ लिया कि न्यायसे काम लिया। जिन १० गवाहोंका बयान लिया गया था उनमेंसे केवल तीनने-दो हिन्दू और एक मुसलमान-इस बातकी तसदीककी थी कि सम्राटकी प्रतिमा अलाई गई और उन्हीके बयानको प्रमाण मानकर अभियुक्तोंको अधिकसे अधिक दण्ड दे दिया गया। यदि इसे भी न्याय-पूर्ण विचार न कहेंगे तो न्यायपूर्ण विचार और क्या हो सकता है! हण्टर कमेटी के सामने गवाही देते समय कर्नल मोब्राइनने अभिमानके साथ कहा था कि मैं लोगोंको गिरफ्तार करता गया चाहे इस बातका मुझे अधिकार था या नहीं। कमेटीके सदस्य स्वयं समझ सकते है कि ऐसा व्यकि कितनी तत्परतासे न्याय कर कसता है।

इसके बाद महात्मा गांधीने स्वयं रामनगरमें जाकर अनुस-न्धान किया। उन्हें पक्का विश्वास है कि रामनगरकी जनता सवथा निर्दोष है। विना किसो अपराधके उनको बेइजती की गई, उन्हें गालियां दो गई और वे जेलमें लूंस दिये गये और इस सयय भी उसी निराधार अभियोगके कारण रामनगरके २८ प्रतिष्ठित निवासी जेलकी कठोर यातना भोग रहे हैं।