पृष्ठ:यंग इण्डिया.djvu/३६०

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पंजाबकी दुर्घटना


बारबार करते थे। वे ही गवनेर रातके वक्त मार्शल लाकी घोषणा करके चोरोंकी भांति उस प्रान्तको छोड़ भागे। इसे मैं स्वीकार करता हूं कि मभी सरकार न्यायप्रिय प्रजाकी जान व मालकी रक्षा करने में जरा भी असावधानो नहीं दिखलावेगी पर कोई भी सरकार प्रजाका इस प्रकार सदा दमन भी नहीं करती रहेगी और न उनसे इतनी घृणा करेगी। दमनको इस प्रकार आरी रखना राजनीतिज्ञताके दिवालाका सबूत है। एक तरफ तो उत्तेजनाकी चेष्टा की जाय और दूसरी तरफ उसका उसी तरह जवाब। यह हिंसा और दमनकी नीतिका प्रयोग सह्य नहीं हो सकता।” इन शब्दोंका पढ़कर ब्रिटिश राष्ट्र तथा अंग्रेज जातिका उनपर पूर्ण शान्तिके साथ विचार करना चाहिये तथा उसके अनुरूप समुचित कार्रवाई करनी चाहिये यदि वे जनताको यह विश्वास दिलाना नही चाहते कि अंग्रेज जातिने वृद्धिसे काम लेना छाड़ दिया है। उचित है कि इस स्थितिकी जड़में जो दोष हैं उन्हें उपेक्षाकी दृष्टि न देखा जाय। अपने लेखके अन्तिम भाग में उन्होंने अपना अभिप्राय और भो स्पष्ट कर दिया है। उन्होंने लिखा है:-जिस कानूनके द्वारा व्यक्तिगत स्वतन्त्रता या सम्पत्तिपर किसी तरहका आघात पड़ता हा या किसाके बालने या लिखनेकी स्वतन्त्रता छिना जाती हो, उस तरहके कानूनको भारत सरकार भारतीयोंकी मर्जी वगैर न बनाये। इस शब्दका क्या अभिप्राय हो सकता है ? सर संकरम् नायरने ब्रिटनको चेतावनी दी है कि यदि वह भारत सरकारकी मर्यादाका बिगाड़ना नहीं