पृष्ठ:यंग इण्डिया.djvu/३७०

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पंजाबकी दुर्घटना


हैं । पर गत १४वीं जुलाईके यङ्ग इण्डियाके चौथे पृष्ठपर आपने जेनरल डायरके सम्बन्धमें जिन कड़े शब्दोंका प्रयोग किया है उन्हें पढ़कर मैं विम्मित हो गया। आपके आरम्भके शब्द है:--- "उसे किसी भी प्रकार सबसे जालिम हत्यारा नहीं कह सकते।" यहांतक तो मैं किसी तरह आपसे सहमत हो सकता है यद्यपि विचार न होनेके कारण किसोपर भी दोषारोपण या आक्षेप करना उचित नहीं प्रतीत होता। पर आगे चलकर आपने लिखा है---"पर उसको पशुतामें किसी तरहकी आशंका नहीं की जा सकती x x x x उसकी नीच सैनिकके विपरीत कायरता प्रत्यक्ष है। x x x x उमने उन निरस्त्र नर-नारियोंका बलवाई ठहराया है। उसने चूहा बिल्लियों की भांति उन सैकड़ों नर-नारियोंकी हत्या कर-जो एक बाडेमें बन्द कर दिये गये थे---उसने अपने को पंजाबका उद्धारक बतलाया है। ऐसे व्यक्तिको योधाको उपमा देना पाप है। उसकी कार्रवाई वारताशून्य थी। उसपर किसी प्रकारका सङ्कट नहीं था। उसने किसी प्रकारकी चेतावनी नही दो और न किसने उसका मुकाबला किया । इसे 'समझकी भूल' नहीं कह सकते। निराधार भयकी आशङ्कासे उपकी वृद्धि भ्रष्ट हो गई थी। यह अयोग्यता और निर्दयताका नमूना है।"

यदि मैं यह कहूं कि यह केवल आपकी शब्दाडम्बर रचना है, तो आप मुझे क्षमा करेंगे। इसको प्रमाणित करनेके लिये आपने कोई सबूत नहीं पेश की है। जहां सबत संभव