वह बड़े भीषण बलवाइयोंका सामना कर रहा है और इससे वह हजारोंकी जान और मालको रक्षाका उपाय कर रहा है। और
अनेक व्यक्ति इस बातमें उससे सहमत हैं कि उसने नगरको
अतिशय भीषण बलवाइयोके हाथमें पड़नेसे बचाया।
इस पत्रको पढ़नेसे स्पष्ट प्रगट होता है कि मिस्टर पेनिङ्गटन
यंग इण्डिया पत्रको बराबर नहीं पढ़ते । नहीं तो उन्हें विदित
होता कि जनताको ज्यादतियों की जितने कड़े शब्दों में मैंने
आलोचना की है, किसीने नहीं की है। उनकी धारणा है कि
यह लेख-जिसका उन्होंने विरोध किया है-पहला ही है
जिसे मैंने जेनरल डायरके न सम्बन्धमें लिखा है। कदाचित उन्हें
विदित नही कि जलियांवाला बागके हत्याकाण्डकी समीक्षा
करनेमें मैंने पूर्ण पक्षपात हीनतासे काम लिया है। इस हत्या-
काण्डके विषयमें हम लोगोंने अपना मत सित करनेपर जिन
सबूतोंका सहारा लिया है उनको वे पढ़ सकते हैं। यंग इण्डियाके पढ़नेवाले उन बातोसे भली भांति परिचित है इसलिये
मुझे इस अवस्थापर पहुंचकर प्रमाण आदि देना निरर्थक है।
पर अभाग्यवश मिस्टर पेनिङ्गटन अंग्रेजी नस्लके सचे ममूना
हैं। वे अन्यायसे काम नहीं लेना चाहते पर अभाग्यवश
संसारकी घटनाओंको सच्चा रूप देनेमें वे शायद ही कभी न्यायसे
काम लेते हों, क्योंकि उन्हें उनपर विचार करनेका समय नहीं
है और यदि कभी उन्होंने उसपर विचार मो किया तो केवल
उन्हीं पत्रोंके रायपर जो सदा एक पक्षीय मतका प्रचार करते