इससे यह भी व्यक है कि अपने इस आचरणसे बड़े लाट महोदय हिन्दू, मुसलमान, तथा खिलाफतके सम्बन्धमें मुमलमानोंके साथ सहानुभूति रखनेवाले अन्य लोगोंसं कह रहे हैं कि खिलाफतके साथ किये गये अन्यायको मत भूलिये पर पंजाब अत्याचारोंको भूल जानेके लिये वे बारबार कहते हैं। यह काम नितान्त असम्भव है।
भला यह कब सम्भव है कि रोगी अपने दर्दको सदाके लिये भूल
जाय। हां, गहरी नशा पाकर सम्भव है वह कुछ कालके लिये
भूल सकता है। पजाबके अत्याचार उस जहरीले घावकी तरह हैं जिसके जहरका अमर मांसको सडाता और धावको बढ़ाता जाता है और जबतक पूरा विष शरीरसे न निकाल लिया जाय तबतक धाव नहीं पुज लकता। इस प्रकार पंजाबके अत्याचार तबतक नहीं भूले जा सकते जबतक कि विषरूपी उन अफसरोंको पेंशने न बन्द कर दी जाय और वे नौकरी परसे न बरखास्त कर दिये जायं जिन्होंने नौकरको हैसियतसे विश्वासघात किया और उसके लिये किसी तरहका पश्चात्ताप नहीं प्रकट किया । क्या लार्ड रेडिंग इस बातको कभी भी सम्भव सकझते हैं कि भारतकी जनता मिस्टर थाम्सनकी तरक्कीको प्रसन्नतासे देखेगी? लाई रेडिंग कहते हैं कि सरकारकी सदिच्छा और ईमानदारीके लिये भारतीयोंको हमें धन्यवाद देना चाहिये और कृतज्ञता प्रकट करनी चाहिये। उनका श्रेय वे प्राप्त कर सकते हैं पर साथ ही यह प्रश्न उठता है कि प्रधान प्रश्नोंपर जनता और
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चोटपर चोट