सरकारके पर्यवेक्षणमें भारी भेद है। और जबतक लार्ड रेडिंग और उनकी सरकार उन व्यक्तियोंको नौकरीमे बहाल रखेगी और पेंशन देती जायगी जिन्होंने अपनी जिम्मेदारीका दुरुपयोग किया है और अपनेको पूरी तरहसे अयोग्य साबित किया है, तबतक किसी भी दशा में सरकार और प्रजामें मतैक्य होना नितान्त असम्भव है। यदि भारत सरकार लेशमात्र भी जिम्मेदारी हमारे हाथमें देनेका भाव प्रगट करती हो तो हमें इतना तो अधिकार अवश्य मिलना चाहिये कि हम उनलोगोंको नौकरियोंसे हटा दें जिन्होंने घोर क्रूरता और निर्दयताके साथ हम लोगोंको सताया है । मेरे लिये तो इन दोनों अत्याचारोंके प्रतीकारका अधिकार पा जाना ही सबसे बड़ी जिम्मेदारीकी प्रामि है। खिलाफतके साथ जो अन्याय किया गया है उसे स्वीकार कर लिया गया है, पंजायके अत्याचार खूनसे लिखे गये हैं। हम स्वीकार करते हैं कि हम लोगोंने अमृतसरमें, कसूरमें, जलियांवाला और गुजरानवालामे ज्यादतियां की पर इसके लिये हमसे बुरी तरह बदला चुकाया गया। हमारा अपमान किया गया, हमें ठोकरें लगाई गई। दोषी और निर्दोषी सभी शूलियोंपर चढ़ाये गये। हम लोगोंने। स्थान स्थानपर अपने दोषोंको स्पष्ट शब्दों में स्वीकार कर लिया है। जिन अधिकारियोंने हमलोगोंके साथ इस तरहके क्रूर अत्याचार किये उनकी मैं किसी तरहसे हीनता नहीं चाहता। मैं तो केवल इतनाही चाहता हूं कि वे लोग हमपर फिर भी मालिकको तरह न बने रहें । एक अंग्रेजने मुझसे स्पष्ट कहा कि यदि सर
पृष्ठ:यंग इण्डिया.djvu/३८२
दिखावट