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पंजाबकी दुर्घटना

का भाव प्रगट करके पर भीतर व्यवहारमें अदन्य बड़प्पनका भाव धारण करके हमें धोखे में डालना उचित नहीं है। लार्ड रेडिङ्गको संसारका असीम अनुभव प्राप्त है। उन अनुभवोंसे उन्हें शीघ्र ही विदित हो जायगा कि दो विरोधी भावोंमें समता या मेल लानेकी चेष्टा करना सर्वथा असम्भव है। यदि इसके बीचका कोई मार्ग होता तो असहयोगी इसका कभी ही अवलम्वन किये होते। यह सारी जनताकी घृणा या रोषका प्रश्न नहीं है। मैं उनसे प्रार्थना करता हूं कि वे दूर तक धसकर देखें। उन्हें विदित हो जायगा कि हर तरहसे कमजोर होते हुए भी हम लोग सफेद जातियोंकी विशिष्टताको स्वीकार करने के लिये अब क्षण भरके लिये भी तैयार नहीं हैं। जवानी जमा खर्च, चाहे कितना भी सौम्य क्यों न हो किसी उपयोगका नहीं हो सकता। हमलोग बराबरीका प्रत्यक्ष प्रमाण चाहते हैं। क्या उनकी समझमें अब तक यह बात नहीं आई कि गोरी सेना अंग्रेजोंकी जानकी रक्षाके लिये भले ही उपयोगो हो पर उससे भारतवर्ष की सीमाकी रक्षा नहीं हो सकती। अंग्रेजों को भारतवर्ष में उसी तरह बराबरीकी हैसियतसे रहने के लिये तैयार हो जाना चाहिये जैसे पारती रहते हैं। पारसियोंकी संख्या यद्यपि अल्पतम है तथापि हजारों वर्षोसे वे मित्र और साथीको हैसियतसे पूर्ण प्रेमके साथ रहते चले आ रहे हैं। उन्हें कभी भी किसी खास तरह की रक्षाको आवश्यकता नही प्रतीत हुई और न क्रुद्ध हिन्दू और मुसलमानोंके भयसे