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पृष्ठ:यंग इण्डिया.djvu/४०३

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खिलाफतकी तिथि

जिस समयसे वह बलप्रयोग द्वारा प्रजाके दबानेकी चेष्टा करने लगती है उसी समयसे उसकी उपयोगिता घट जाती है। इसलिये जिस समयसे प्रजा बलप्रयोगसे निर्भय हो जाती है उसी समयसे दमनशक्ति भी उठा दी जाती है। और इसीको सत्याग्रह कहते हैं अर्थात् अनेक तरह की कठिनाइयोंका सामना करते रहने पर भी सत्यपर अड़े रहना, चाहे वे कठिनाइयां सर- कारके पशु बलके प्रयोगके कारण आ उपस्थित हुई हों अथवा बिना किसी सोच विचारके जातीय अत्याचारसे आई हों।

खिलाफतके सञ्चालकोने इस सिद्धान्तको भलीभांति समझ लिया था। यदि उन्होंने किसी तरह सोधे या प्रकारान्तरसे हिंसाकी प्रवृत्ति दिखलाई होती, या किसी प्रकार जलसेके कारण हिंसा हो गई होती तो अधिकारियोंकी अभिलाषा पूरी कर दी गई होती। जिस शान्तिके साथ १५ अक्तू बरका जलसा बीत गया उससे इस्लामकी मांगको बड़ी सहायता मिली है। और यदि पुलिसके प्रवन्धका अनुमान बम्बई शहरके अनु. सार करें तो हमें पुलिस कर्मचारियोंको भी इसके लिये धन्यवाद देना चाहिये, क्योंकि बम्बई तथा अहमदाबाद दोनोंही स्थानोंमें जनताकी रोकटोक और नियन्त्रणके लिये खास पुलिसका प्रबन्ध नहीं किया गया था। बलप्रयोगके सारे साधन गायबसे ये। अतिरिक्त सेना या सैनिकको देखकर प्रायः लोगोंका दिमाग खौलने लगता है। खिलाफतके सञ्चालकोंने सार्वजनिक सभा की व्यवस्था न कर और भी बुद्धिमानीका काम किया,