पृष्ठ:यंग इण्डिया.djvu/४१

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अमरावती की बैठक में कांग्रेस को उसकी निन्दा करनी पड़ी। प्लेग के निवारण के मिस पूने में जो तरीके अखतियार किये गये थे उससे हिन्दुओं की धार्मिकतापर कड़ी चोट पहुची। सिपाही विना किसी रोक-टोक के हिन्दू तथा मुसलमानोंके जनानखानों में घस जाते। कुल देवताओं के मन्दिर भ्रष्ट कर दिये गये। इसका परिणाम यह हुमा कि नेके प्लेग कमेटी के अध्यक्षको किसी ने हत्या कर डाली। नाट भाइयों ने इन ज्यादतियों के निवारण के लिये सरकार से अपील की थी। इसीलिये इस हत्या में उन्हीं का प्रधान हाथ समझा गया और वे विना अभियोग के बन्दी कर लिये गये। इस विषय की आलोचना करने के अपराध में केसरी के सम्पादक श्रीयुत लोकमान्य तिलक तथा दो अन्य देशी पत्रों के सम्पादक जेल भेज दिये गये। सरकार तथा भारतीय अंग्रेजों ने एक स्वरसे चिल्लाना शुरू किया कि वर्नाक्यूलर छापा. सानों का गला घोंट दिया जाना चाहिये। उस समय लार्ड जार्ज हैमिल्टन भारत मन्त्री थे। उन्होंने कामन्स सभा में इसी विषय पर भाषण करते हुए जोरदार शब्दों में समस्त भारतीयों पर घोर आक्षेप किया था। उन्होंने कहा था:-"भारत में बिना किसी पूर्व सूचनाके समस्त जनता पागलोंकी तरह उठ खड़ी होती है और विदेशियों की हत्या के लिये तैयार हो जाती है।" राजद्रोह के कानून में भी परिवर्तन की सिफारिशें की गई जिससे बोलने की भी स्वतन्त्रता का अपहरण कर लिया जाय और पुलिस के हाप में अनियन्त्रित अधिकार दे दिया जाय। बङ्गाल रेगुलेशन क्षेत्र