(३) १८१८, मद्रास रेगुलेशन ऐकृ (२) १८१९ बम्बई रेगुलेशन ऐक (२५) १८२० के द्वारा जो विशेष अधिकार दे दिये गये थे उन्हें देखकर सहसा फांस के प्राचीन राजवंशों के उनाल काननों को स्मरण हो जाता था। पूना में अतिरिक्त पुलिस की स्थापना और भी असह्य थी। कांग्रेस में भाषण करते हुए बाबू सुरेन्द्रनाथ बनर्जीने कहा था:-"भाइयो! ब्रिटिश साम्राज्य की नींव की मज- बूती का आधार जान और माल की रक्षा का पूरा प्रबन्ध है। पर यदि प्रत्येक क्षण आपको इस बात का भय बना रहे कि सरकार जब चाहे आपकी सम्पत्ति हर ले सकती है, आपको गिरफ्तार कर सकती है और बिना विचार या जांच के अनियत समय के लिये जेल में ठंस दे सकती है तो इन विशेषताओं से क्या लाभ। जहां ऐसी अवस्था है यहां इस बात की डींग मारना किस कामका कि ब्रिटिश राज्य में जान माल की रक्षा सबसे बढ़ कर है।" पर ब्रिटिशकी न्याय प्रियता में कांग्रेस के नायकों का इतना अटल विश्वास था कि उन्होंने इन दुराचारों के निवारण का सबसे उत्तम उपाय ब्रिटिश जनताके पास प्रार्थना करने में समझा। मिस्टर डबल्यू० सी० बोनजोंने स्पष्ट शब्दों में कहा था:-"यह निश्चय है कि हम लोगों की यह दुःख भरी कहानी सुन कर ब्रिटिश जनता क्रोध से खोलने लगेगी और तुरन्त लोगों कों उस बन्धन से मुक्त करने की तैयारी कर देगी जिसमें लाई एलमिन और उनके कौंसिलर हम लोगों को बांधना चाहते हैं। पर उनकी धारणा गलत यो। कांग्रेस का
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