पृष्ठ:यंग इण्डिया.djvu/४३७

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खिलाफत


राजनीतिमें उनका उतना ही हक और हाथ रह जायगा जितना चीनके मुसलमानों का है। मेरी समझमें कदाचित यह हो जाय कि मुसलमानोंके इस दवावके कारण तुर्कोका कुस्तु- न्तूनियामें रहना सम्भव हो जाय। पर मुझे इस बातका सन्देह है कि इससे उन्हें किसी भी तरहका लाभ हो सकेगा, क्योंकि एशिया माइनरके निकाल देनेपर तुर्कीके लिये कुस्तु- न्तूनियाकी राजधानी किसी भी प्रकारसे सुविधाजनक न होगी। पर मुझे पूर्ण विश्वास है कि इसकी भूल तुर्को को शीघ्र ही विदित हो जायगी और इसके कारण उन्हें जिन कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा वह उनके धार्मिक भावोंकी रक्षासे कहीं भीषण होगी । पर यदि भारतीय मुसलमान इस बातपर तुले हुए हैं कि कुस्तुन्तूनिया मैं तुर्की के सुलतानकी सलतनत रहनी ही चाहिये तो उसके लिये मेरी समझमें भारतके बड़े लाटने सरकारी तौरसे मुसलमानों को जो वचन दिया है उसके अनुसार हम लोगोंको इस बातपर जोर देना चाहिये कि कुस्तुन्तूनिया सुलतानके अधिकारमें रह जाय। यद्यपि अमरीका इस बात का विरोध कर रहा है ।"

उपरोक्त अवतरण एक पत्रका अंश है। इस पत्रको इङ्गले- एडके एक अधिकारीने भारतवर्षमें अपने एक मित्रके पास लिखा था। यह पत्र धीरता, नेक नीयती तथा स्थितिका सञ्चा दिग्दर्शन करानेका नमूना है। इस पत्रकी भाषा इतनो प्रति- ठित है कि कटाक्ष करते हुए भी यह आदरके योग्य है । पर