पृष्ठ:यंग इण्डिया.djvu/४४९

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कुछ प्रश्नो का उत्तर


हुआ कि हिंसा शुरू हुई और शान्ति भङ्ग हो जायगी । पर मैं दृढ़ता के साथ कह सकता है कि यदि भारत के मुसलमानों के सामने असहयोग का चमकता सुतीक्ष्ण शस्त्र न होता तो वे कभी के निराश हो गये होते और निराश मनुष्य जो कुछ कर सकता है उसको करने के लिये भी वे सन्नद्ध हो गये होते । मैं यह भी स्वीकार करता हूं कि अनहयोग खतरे से खाली नहीं है। पर हिंसाका होना और शान्ति का भंग असहयोग में बाहरी कारण हो सकता है, केवल उसकी संभावना हो सकती है । पर यदि भारत के सभी प्रधान निवासी हिन्दू मुसलमान और ईसाई इसका समर्थन त्याग देंगे तो यह और भी संभव हो जायगा ।

अन्त में, हमारे मित्रने जो शिफारि से की हैं उनका मुसलमान लोग पूरी तरह से पालन करते आ रहे हैं । यद्यपि भारतीय मुसलमानों को मालूम है कि सन्धि में क्या होना है, तुर्की के भाग्य का किस तरह निपटारा किया जायगा तद्यपि वे लोग सन्धि की ठीक ठीक शर्तों को जानने के लिये प्रतीक्षा कर रहे हैं और कोई कार्रवाई नहीं कर रहे हैं । उन लोगों ने यह भी तै कर लिया है कि असहयोग आन्दोलन जारी करनेके पूर्व इस सन्धि में उलट फेर तथा परिवर्तन करानेके सम्पूर्ण साधनों का प्रयोग कर लेंगे,और जबतक भारत सरकार मुसलमानों के साथ हर तरह से सहयोग करने के लिये-अर्थात् सन्धि की शत के प्रकाशित हो जाने के बाद, यदि वे शर्ते ब्रिटिश प्रधानमन्त्री के दिये वचन से कम पाई जाये तो हर तरह से उनमें आवश्यक सुधार कराने के लिये जिस