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पृष्ठ:यंग इण्डिया.djvu/४४८

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खिलाफतकी समस्या


है वह यह है कि उसने खिलाफत सम्बन्धी मुसलमानों को उचित मागों को सुप्रीम कौंसिल के सामने रखा और उसके लिये थोड़ी चेष्टा की। क्या यह उसकी शक्ति और अधिकार का कमसे कम प्रयोग नहीं है? क्या इससे भी कम उसके करने की कोई बात हो सकती थी जिसके लिये उसे अपमान और हीनता न देखनो पड़ती? भारत के मुसलमान तथा हिन्दू इस सङ्कटापन्न अवस्था में भारत सरकारसे कमसे कमको आशा न रखकर अधिक से अधिक की आशा रखते हैं और यही चाहते हैं कि वह भारतवासियों की मांगोंके लिये ( जिसे वह स्वयं न्यायसङ्गत समझती है ) अधिक से अधिक यत्न करे। इतिहास साक्षी है कि इससे भी साधाण अवस्थामे बड़े लाटोंने स्तीफे दे दिये हैं। अभी थोडे दिन होते हैं कि इमो त ह मानापमान होकर एक छोटे लाटने स्तीफा दे दिया है। खिलाफतका प्रश्न परम पवित्र प्रश्न है और लाखों तथा करोड़ों हिन्दू और मुसलमानोंके लिये प्राणसे भी बढ़कर हो रहा है। इस समय इस प्रश्न पर कड़ी चोट पहुंचाये जानेकी सम्भावना है। इसलिये मेरा प्रत्येक अंग्रेजसे -भारतमें रहनेवाले प्रत्येक अंग्रेज, हिन्दू चाहे वह किसी भी दल का अनुयायी हो,-सविनय अनुरोध है कि खिलाफतके प्रश्नमें वह मुसलमानोंका पूर्णरूपमें साथ दे और भारत सरकार को अपना कर्तव्य पालन करने के लिये वाध्य करे और इस तरह प्रधान मन्त्रोको लाचार कर दे कि वे अपने कर्तव्य का पालन करें।

चारों ओर से आवाजें आ रही हैं कि असहयोग आरम्भ