पृष्ठ:यंग इण्डिया.djvu/४७०

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खिलाफतकी समस्या


जनताको स्मरण करा दिया है कि तुर्कों के साथ सन्धिक विषयमें मुसलमानोंक भाव प्रधान मन्त्रीकी प्रतिज्ञापर निर्भर है जो उन्होंने थेस, कुस्तुन्तूनिया और एशिया माइनरकी भूमिक सम्बन्धमें किया था और जिसे मिस्टर लायड जार्जने २६ फर- वरीको पुनः दोहराया है। प्रतिज्ञाक उन वचनोंका पूर्णतः पालन किया जाना चाहिये और यदि इसका किसी भी अंशमें पालन नहीं किया गया तो ब्रिटिश साम्राज्यकी ओरसे यह भारी विश्वासघात होगा। यदि विश्वासघात और प्रतिज्ञा भड़के आक्षेपोंका उत्तर है तो वह दिया जाय। प्रधान मन्त्री अपने वचनोंका पालन करें या न करें पर जो वचन वे राष्ट्र की ओरसे देते हैं उसे ताड़नेका उन्हें कोई अधिकार नहीं है। यह कितनी हीनताकी बात है कि उन प्रतिज्ञाओंका जरा भी ख्याल न किया जाय। मुझे पूर्ण आशा है कि मेरे इस मतसे केबि- नेटके अन्य सदस्य भी सहमत होंगे।”

मिस्टर काण्डलरने अपने पत्र में जो कुछ लिखा है उससे यही प्रगट होता है कि इङ्गलैण्डकी वर्तमान राजनातिका उन्हें जरा भी ज्ञान नहीं है। वहां प्रतिदिन क्या हो रहा है वह नहीं समझ रहे हैं । मिस्टर पिकेट हालने न्यू एज नामी पत्रमें हालमेंही लिखा था:-“यद्यपि तुर्कोके साथ क्षणिक मन्धि हुए बहुत दिन बीत गये पर अभीतक आर्मेनियावालोंके कत्ले आमकी जांच करनेके लिये निरपेक्ष अन्तर्राष्ट्रीय जांच कमेटी नहीं बैठाई गई यद्यपि तुर्को ने इसके लिये प्रार्थना भी की पर