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पृष्ठ:यंग इण्डिया.djvu/४७१

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काण्डलरकी खुली चिट्टी

आर्मेनियाकी व्यवस्थाने इसे स्वीकार नहीं किया, केवल इतना हो कहकर टाल दिया कि ब्राइस और लेयसन्सके रिपोर्ट तुर्कों की निन्दा और दण्डविधान के लिये काफी हैं अर्थात् केवल मुद्दईके बयानपर ही फैसला कर देना चाहिये। अन्तर्राष्ट्रीय कमीशनने स्मि में इस तरहके अभियोगोंका निरपेक्ष जांच की और यूना-नियोंके कथनके विरुद्ध मत कायम किया। इसलिये उनकी रिपोर्ट इङ्गलैण्ड में प्रकाशित नहीं की गई यद्यपि अन्य राष्ट्रोंमें वह कभी प्रकाशित हो गई।” अन्तमें उन्होंने यह दिखलाया है कि अपने उद्देश्यकी सिद्धि और अपना मत समर्थनके लिये आर्मे निगा तथा यूनानके राजदूत लोग प्रचुर धन व्यय कर रहे हैं। इसपर उन्होंने लिखा है :--"अलाम अनजानकारी तथा झठापवादका समवाय संयोग ब्रिटिश राज्यके लिये अतिशय भयावह होगा। जो राजा और प्रजा किसी प्रत्यक्ष घटना या प्रमाणके मुकाबिलेमें प्रचार और आन्दोलनको अधिक उपयोगी समझते हैं वह अपना नाश अपने आप करते हैं।"

इस अवतरणको हमने इसलिये दिया है कि लोगोंको यह विदित हो जाय कि वर्तमान ब्रिटिश नीति विवेकहीन प्रचार और आन्दोलनसे दूषित हो गई है। लण्डन क्रानिकलने लिखा है कि १७वीं सदीमें तुर्क साम्राज्यका विस्तार एशिया, अफ्रिका और यूरोप मिलाकर प्रायः २० लाख वर्गमीलके करीब था, वही विस्तार इस सन्धिकी शर्तों के अनुसार अब केवल १०००, वर्ग मील रह गया है। यूरोपीय तुर्की अब केवल नाममात्रको रह