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खिलाफतकी समस्या


किया जा सकता है कि गत पांच वर्षों से भारतीय मुसलमान अद्वितीय आत्मसंयमका प्रमाण देते आये हैं और नेताओंने उपद्रवियोंको शान्त रखने में पूर्ण सफलता प्राप्त की है।

सन्धिको शर्ते तथा आपकी उनपर सफेदी पोतनेकी चेष्टाने भारतीय मुसलमानोंके हृदयोंपर कड़ी चोट पहुंचाई है जिसकी सह लेना उनके लिये साधारण बात नहीं होगी। उन शर्तो मे प्रधानमन्त्रीके बचन तोड़े गये हैं और मुलमानोंकी आकांक्षोंका जरा भी खयाल नहीं किया गया है। मैं एक कट्टर हिन्दू हूँ। में भारतीय मुसलमानोंके साथ पूर्ण मैत्रीके साथ रहना चाहता हूं। ऐसी अवस्थामें यदि मैं आपत्कालमें उनका साथ न दू तो मैं भारत सन्तान कहानेके योग्य नहीं। मेरी समझमें उनकी मांग न्यायोचित है। उनका कहना है कि यदि मुसलमानोके मानकी रक्षा करनी है तो तुर्कों को दण्ड नहीं दिया जाना चाहिये। मुसलमान सैनिकोंने इस आशासे अपना रक्त नहीं बहाया था कि उसके पुरस्कारमें उनके खलीफाका राज्य छीन लिया जाय और वे अधिकार च्युत कर दिये जायं । विगत पांच वर्षों से मुसलमान लोग पूरी स्थिरता दिखला रहे हैं।

साम्राज्यके सदेच्छुकी हैसियतसे मैं अपना कार्य समझता हूं कि मुसलमानोके मनोभावोंपर जो चोट की गई है, उसका मैं प्रतिवाद करू। जहांतक मुझे विदित है ब्रिटिश न्याय प्रियतापरसे हिन्दू मुसलमानोंका विश्वास उतर गया है । हण्टर कमेटीके अधिक सदस्यों का मत, उसके सम्बन्ध में आपका