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श्रीअण्डरूजकी कठिनाई


प्रकार को कोई दूसरी युक्ति ढूंढ़ निकालिये नहीं तो आपको इसी प्रकार की अनवस्थित अवस्था में रहकर इस प्रकार को दुर्घटनाओं का सामना करना पड़ेगा, जिनका असर अज्ञात है पर जिनका फलना नहीं रुक सकता ।

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श्रीअण्डरूजकी कठिनाई ।

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( जुलाई २१, १९२० )

भारतभक्त श्री अण्डरूज को कौन नहीं जानता होगा । भारत के लिये उनकी भक्ति अतुलनीय है। श्रीयुक्त अण्डरूज मानव समाज की सेवा के लिये ही उत्पन्न हुए हैं। भारतीयों से उनकी विशेष ममता है। उनकी भलाई के लिये वे तनमन से लगे रहते है। खिलाफत आन्दोलन पर उन्होंने बाम्बे कानिकल मे कई एक लेख लिखे हैं। उन्होंने इटाली, फ्रांस और इङ्गलैण्ड की खब लानत मलामत की है। उन्होंने दिखलाया है कि तुकों के साथ कितना भीषण अन्याय किया गया है और प्रधान मन्त्री के वचन किस तरह तोड़े गये हैं। अन्तिम लेख में उन्होंने उस पत्रकी समीक्षा परीक्षा की है जिसे मिस्टर मुहम्मद अली ने सुलतान की सेवा में लिखा था। श्री अण्डरूज ने यह दिखलाने की चेष्टा की है कि