सकता। मुसलमान धर्मके अनुसार समस्त मुसलमान तीर्थक्षेत्रोंके अध्यक्ष खलीफा होंगे। इसलिये उन भत्रोंमें जानेके जो मार्ग हैं उनपर भी उन्हींका अधिकार हाना चाहिये। यदि संसारकी समन शक्तियां उनपर आघात करना चाहें तो उनकी रक्षाकी उनमें ( खलीफामें ) शक्ति होनी चाहिये। यदि इस बातकी तुर्कीके सुलतानसे अधिक योग्यता अरबके किसो सरदारमें दिखाई देती है तो इसमें किसी तरहका सन्देह नहीं कि वह खलीफा बना दिया जा सकता है।
यह सर्व साधारणको विदित है कि स्मिा , थेस तथा अभियानोपुल तुर्को से बेइमानीके साथ ले लिये गये हैं और सीरिया तथा मेसापोटामियामें विना किसी विचारके संरक्षकता जारी की गई है और ब्रिटिशकी छत्रछायामें उन्हींका एक चुनिन्दा हेजाजका शासक बनाया गया है। यह स्थिति अन्यायपूर्ण और इसलिये असह्य है। आर्मेनिया तथा अरे-बियाके प्रश्नके अतिरिक्त इस बातकी नितान्त आवश्यकता है कि इन बेइमानियों तथा संकीर्णताओं के कारण सन्धिको शर्तों पर जो काला धब्बा लग रहा है उसे मिटा देना नितान्त आवश्यक है। जिन लोगोंसे इन प्रश्नका सम्बन्ध है यदि उनकी सदिच्छा.ओंको पूरी करनेकी आशा दे दी जाय तो आर्मेनिया तथा अरे-बियाका प्रश्न अति सहजमें हल हो सकता है।