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पृष्ठ:यंग इण्डिया.djvu/४९४

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खिलाफत की समस्या


देंगे। मुझे पक्का विश्वास है कि आप अपने पुराने निस्वार्थ देशाभिमान तथा न्याय प्रियताके आसनसे नहीं डिगे हैं। पर यह सर्वथा सम्भव है कि इस अवस्थामें समाजमें ऐसी शक्तियां उत्पन्न हो जायं जिनके साथ आप बहते बहते उस अवस्थामें पहुंच जायं जहां जाकर सच्ची राष्ट्रीयता दूरका स्वप्न हो जाय। भारतवर्ष में सभी लक्षण वर्तमान हैं जो इसे दूसरा रूस, दूसरा आयर्लैण्ड बना दे सकते हैं, अथवा गृह कलहको जन्म देकर अन्तर्जातीय रक्तपात उत्पन्न कर दे सकते हैं। मतभेद होनेकी भी पूर्ण संभावना है। देशी राजे विरोधका झंडा खड़ा कर सकते हैं और ऐसी अवस्थामें यह भी संभव है कि ऐसी कोई भी शक्ति न रह जाय जो शान्ति स्थापित कर देशको उन्नतिके पथपर चलाती रहे और राष्ट्रीयताकी ओर देशको ले जाय। आपका मार्ग कण्टकाकीर्ण होगा। उनसे रक्षा पाना और बचकर आगे बढ़ते जाना ईश्वरकी सहायता पर ही निर्भर है और उसीका आपको एकमात्र सहारा है। जबतक आप जनताके मनकी बातें करते रहेंगे तब तक तो लोग आपको पूजेंगे, हर तरहसे आपकी इज्जत करेंगे यहां तक कि आपको हथेली पर उठाये फिरेंगे पर जिस दिन आपने उनके सामने ईश्वरके उन अटल नियमोंको रखा और उनके पालनेकी मन्त्रणा दी उसी दिन वे किनारा कसेंगे और कहेंगे, 'इसे फांसी पर चढ़ा दो, इसे दूर करो।' आप भूल न गये होंगे। इतिहास में आपसाही एक दूसरा व्यक्ति भी हो गया है। उसने अटल रहकर ईश्वरीय सिद्धान्तोंका प्रचार किया पर