पृष्ठ:यंग इण्डिया.djvu/५१४

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खिलाफत की समस्या


इस बातपर भरोसा रखना चाहिये कि मिस्टर बालफोर के कथन का वही अभिप्राय था जा प्रधान मन्त्री के उस कथन का था जा उन्होंने ५ जनवरी १९१८ को मुसलमानों के प्रति प्रतिज्ञा करते हुए कहा था। हमारा कहना है कि मिस्टर बालफोर ने कामन्स सभामें रूसमें ब्रिटन का हस्तक्षेप' के सम्बन्ध में जो भाषण किया था उसमें उन्होंने उस प्रतिज्ञा को चर्चा नही की थी। ऐसी अवस्था में मिस्टर बालफार इस कथन का क्या मतलब निकल सकता है ? लेफ्टेएट कर्नल मानो हर्बर्टने बार बार पूछा कि:---विदिश साम्राज्य के लिये यह मावश्यक है कि तुर्कों के साथ सन्धिकी शर्तों के सम्बन्ध में मुश्यु क्लमांशो के साथ इसी सम्मेलन में निर्णय कर लिया जाय। ऐसी अवस्था में क्या प्रधानमन्त्री बतला सकते हैं कि उनकी ५ जनवरी १९१८ की प्रतिक्षाये पूरी तरहक्षसे पाली जायेगी कि नही ? इस प्रश्नके उत्तरमे मिस्टर बालफोर ने स्पष्ट शब्दों में कहा था कि यह प्रश्न अतीव विकट है। तुर्कों के सम्बन्ध में किसी तरह का निपटारा कर लेना सहज नही है तथापि हम इतना निश्चय पूर्वक कह सकते है कि उन प्रतिज्ञाओं की उपेक्षा नही की जायगी। क्या यह सीधे साधे प्रश्नका ठीक और समुचित उत्तर है ? जैसा कि हमने ३ री दिसम्बरके अग्रलेखमें खिलाफतक प्रश्नपर प्रकाश डालते हुए लिखा है कि स्वयं प्रधान मन्त्री उन प्रति- शाओंको हदयसे पालना नहीं चाहते। यही बात सच है और जब