पृष्ठ:यंग इण्डिया.djvu/५१५

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खिलाफतका प्रश्न


स्वयं मिस्टर लायड जार्ज इस प्रश्नको टालमटोल कर अलग रख देना चाहते हैं तो भला मिस्टर बालफोर इसके सम्बन्धमें क्या कर सकते हैं। यही अनिश्चितता मुसलमानोंको खटक रही है और मुसलमानोंके समस्त आन्दालनकी यही जड़ है। मुसल- मानों पर यह दोषारोपण करना कि वे राष्ट्रीयताक सिद्धान्तके लिये युद्धकर रहे हैं, सच्ची घटनाको छिपा रखना है। इसके प्रति- कूल ये लोग केवल इस बातका पक्का आश्वासन चाहते हैं कि तुओं के साथ गष्ट्रीयताके सिद्धान्तोंका पूर्णतया प्रयोग किया जायगा। टाइम्स आफ इण्डियाने यहां तक लिख डाला है कि मिस्टर काण्डलरके पत्रका उत्तर देते हुए महात्माजी एक ओर तो उस सिद्धान्तकी प्रशंसा करते हैं और दूसरी ओर उसकी निन्दा करते हैं। सहयोगीसे हमारा अनुरोध है कि वह उस उत्तरको एक बार पुनः पढ़ जाय । पूछा जाता है कि अधीन जातियोंके साथ तुर्को के सव्यवहार या दुर्व्यवहारसे खिलाफतसे क्या सम्बन्ध है ? अधीन जातियोंके अधिकारकी रक्षाके लिये क्या आप तुर्कों के हाथसे अधिकार छीन लेना उचित समझते हैं ? क्या उसी कारणसे आप उनके हाथमेंसे उनके तीर्थ स्थानोंकी रक्षाका अधिकार भी छीन लेना चाहते हैं ? उन सब प्रश्नोंका एक ही उत्तर होता है कि "नहीं'। पर मुसल. मानोंको आशङ्का है कि इसी बातकी तैयारियां हो रही है।

इसके पहले लेख में लिखा था कि अन्य विजित राष्ट्रोंके साथ जो व्यवहार किया जा रहा है, तुर्को के साथ उससे बुरा