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पृष्ठ:यंग इण्डिया.djvu/५५६

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खिलाफतकी समस्या


आज मिस्टर आस्क्विथके वचनको ताखपर रखकर तुकींको दण्ड देनेकी व्यवस्था कर रहे है और इसमें भी न्यायकी दोहाई दे रहे है।

आत्मनिर्णयके सिद्धान्तांकी व्याख्या करके आप दिखलाते है कि एकके बाद दूसरे तुर्को प्रान्तोंको हड़प लेना उस नीतिके अनुकूल ही है। आत्मनिर्णयकी नीतिमें वे इतने मदान्ध हो गये हैं कि थेसको भी तूर्कोके हाथ से निकाल लेना चाहते हैं यद्यपि उन्होंने स्वयं इस बातको स्वीकार किया है कि थू स तो हर तरहसे तुर्कोको ही होना चाहिये। पर आज आपने मर्दुमसुमागेकी गणना करके निकाला है कि थेसमें मुसलमानीकी संख्या यूना. नियोंसे कहीं कम है। मद्रास खिलाफत कांफरसमे भाषण करते हुए मिस्टर याकूब हुसेनने इस कथनकी सत्यताका प्रति- वाद किया है। अन्य प्रान्तोकी चचा करते हुए प्रधान मन्त्राने स्म का भी जिक्र छेड़ा है। आपने कहा है :-निरपेक्ष कमेटी बैठाकर हमने बड़ा सावधानीले जांच करवाई। पर मुझे यही विदित हुआ कि अधिकांश प्रजा तुर्कों की विरोधी है। पर इस एक पक्षाय कमेटीको निरपेक्ष कौन कह सकता है और इसकी जांच न्यायानुकूल कौन कह सकता है जबतक यह कमेटी उन लाखों मुसलमानोंके कल्ले आम और देश निकालेके सम्बन्धमें उचित प्रकाश न डाले।" इस बातको सुनकर और भी विस्मय होता हे कि मिस्टर लायड जार्ज स्मर्नाको अवस्थाकी जांचके लिये तो एक कमेटीको आवश्यकता समझते हैं जो खास
इसीके