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पृष्ठ:यंग इण्डिया.djvu/५५७

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प्रधान मान्वीका उत्तर


लिये नियुक्त की जाय पर किसी भी मालामें मिस्टर मुहम्मद अलीके इस प्रस्तावको नहीं खीकार करते कि आर्मेनियाके कल्ले मामकी जांच के लिये एक निरपेक्ष कमेटी बैठाई जाय। संशय युक्त, तथा एकतर्फी बातें तथा अक उनके इस निर्णयके लिये काफी हैं कि तुर्की सरकार अपनी प्रजाकी रक्षा नहीं कर सकती, वह हर तरहले अयोग्य है और इसीके आधार पर आपका कहना है कि सभ्यताके नाम पर एशिया माइनरके शास- नमें भी किसी विदेशी शक्तिका हाथ होना नितान्त आवश्यक है। यहा पर उन्होने सुलतानका स्वतन्त्रताकी जडमें चोट पहुंचाई है। तुर्कीक शासन व्यवस्थाकी देखरेखका अधिकार अपने हाथमे लेना एक नई बात है। इस तरहका व्यवहार तो अन्य किसी भी विजित राष्ट्र के साथ नहीं किया गया है ।

सुलतानकी सम्पत्तिको इस प्रकारसे अपहरणकी जो व्यव स्था की जा रही उससे स्पष्ट है कि प्रधान मन्त्री खिलाफतके प्रश्नको बड़ी ही उदासीनताके साथ देखते हैं। खिलाफतके प्रश्न पर इतनी उदासीनता दिखलाना उनके अन्यायको-जो कि वे तुकों सम्राज्य के अंगभग करनेको व्यवस्था देकर कर रहे हैं- और भी भीषण रूप देता है। ऐसे अनेक अवसर आये हैं अब प्रधान मन्त्रीने मुसलमानों के इस धार्मिक अधिकार तथा शालन अधिकारको एक ही शक्तिके हाथोंमें रहनेका लाभ उठाया है। पर आज यही प्रम विवादग्रस्त हो रहा है।

प्रक्ष यह उठता है कि इस नीतिका प्रभाव निटनको प्रतिष्ठा
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