पृष्ठ:यंग इण्डिया.djvu/५७

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
( ५४ )

बायका आन्दोलन देशमें कभी भी देशानेमें नहीं पाया था। मगर नगरमें इस रिपोर्टके विरोध में सभायें की गई और कौंसिलोंमें प्रेसा एक भी सदस्य (गैरसरकारी ) नहीं था जो इनका समर्थन करता।


पर यह सब ध्यर्थ था। सरकारने कानमें तेल डाल लिया था उसने देशकी रक्षाके लिये रोला ऐकृको कानूनी रूप देना आवश्यक समझा। सरकारी सदस्योंकी अधिकता थी ही मार्च के प्रथम सप्ताहमें उस बिलको काननी रूप देही दिया गया।


हड़ताल और उपद्रव


सारे देशके एक मत हो कर विरोध करने पर भी भारत सरकारने रौलट ऐकृ पास कर दिया ? इसके विरोधमें व्यव. स्थापक समाके अनेक गैर सरकारी सदस्योंने स्तोफा दे दिया। महात्मा गांधी अब तक एकान्तमें बैठे इस रिपार्ट और बिलकी गवेषणा कर रहे थे। इसकी हानियोंका पूरी तरहसे समझ कर उन्होंने बड़े लाटको नोटिस दी कि यदि आपने इस कावूमके निर्माणका साहस किया तो हमें वाध्य होकर सत्या- ग्रह करना पड़ेगा। देशमें चारो मोर सत्याग्रहकी तैयारियां होने लगी। सत्याग्रह प्रतिज्ञा पत्रपर लोग इस्ताक्षर करने लगे। बस व्रतके ग्रहण करनेवालों को इन सतो कानूनोंकी सविनय महा करनी थी जिन्हें उसते. उहश्यसे संगठित एक कमेटी