सुप्रीम सभा के सामने ब्रिटेन लाचार था । वास्तवमें बात
एकदम से उलटी है । जिस विश्वास को नींव हैम्पडन, मेकाले,
ग्सकिन, कार्लाइल तथा ग्लेडस्टन सदृश अंग्रेजोंने डाली थी और
पुष्टि की थी उसको खोदकर उखाड़ फेकने की व्यवस्था वह
साम्राज्यवाद की चालवाजियां कर रही हैं जिनके हाथ में आज
ब्रिटन का भाग्य है। ब्रिटिश अपने साम्राज्यवाद के अधीन सारे
संसारको लाना चाहता है। जिस दिन इन साम्राज्यवादी
लालचियोंके सामने ब्रिटनकी उदारता सिर झुका देगी उस
दिन ब्रिटनका अन्त समझिये।
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( जून ६, १६२० )
इलाहाबाद की खिलाफत सभाने सर्व सम्मति से असहयोग के
सिद्धान्त को स्वीकार कर लिया है और विस्तृत कार्य विवरण
निश्चित करने के लिये कार्य कारिणी समिति बैठाई है । इस
सभाके पहले हिन्दू मुसलमानों की एक संयुक्त सभा की गई थी
जिसमें सभी मतके नेता अपना अपना मत प्रगट करने के
लिये निमन्त्रित किये गये थे । उस सभामें मिसेज घेसेण्ट,
माननीय पण्डित मालवीयजी, माननीय डाकर तेजबहादुर