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पृष्ठ:यंग इण्डिया.djvu/५८९

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खिलाफत


बातों को कौन मुसलमान सुनेगा और उसका साथ देगा। इसी तरह केवल इस कारण कि तुर्को कमजोर हो गया है और अपनेको सम्हाल नहीं सकता मुसलमान अपने धार्मिक अधिकारोंको नहीं छोड़ सकते।

प्रत्येक सचा मुसलमान तुर्कीको अधिकार सम्पन देखना चाहता है और साथ ही साथ वह यह भी देखना चाहता है कि जजीरतुल अरब अर्थात् मेसोपोटामिया, सीरिया, तथा पलस्टा- इन पर मुसलमानोंका एक छत्र अधिकार रहे और ये पूरी तौरस पलीफाकी छत्रछायामें रहें चाहे वह खलीफा कोई भी क्यों न हो। इसके अतिरिक्त कोई भी शर्त चाहे वह कितनी ही उदार क्यों न हो मुसलमानोंको सन्तुष्ट नहीं कर सकती। ये लोग इस बातको क्षणभरके लिये भी बरदाश्त नहीं कर सकेंगे कि मुसलमानोंके राज्यपर सोधा चाहे प्रकारान्तरसे किसी भी गैर मुसलमानका अधिकार हो।

इस ख्यालले पलस्टाइनका प्रश्न सबसे विकट है। ब्रिटनने यहूदियोंको वचन दिया है कि यह प्रदेश वह उन्हें देगा। उस प्रदेशसे उनका धार्मिक सम्बन्ध भी है। कहा जाता है कि यदि पलस्टाइन यहूदियोंको न दे दिया जायगा तो वे आजन्म बिना घर द्वारके घुमन्तू जाति बने रहेंगे। इसके तहमें जो सिद्धान्त है उसकी सार्थकता अथवा निरर्थकता पर मैं यहां कुछ लिखना नहीं चाहता। मुझे केवल इतना ही कहना है कि चालबाजी या विश्वासपातसे उन्हें यह प्रदेश नहीं मिल सकता। इस
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