पृष्ठ:यंग इण्डिया.djvu/५९१

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पहली अगस्त

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जुलाई २८,१९२० ।

इस बातकी बहुत ही कम सम्भावना है कि पहलो अगस्त. तक ब्रिटिश सरकार तुर्कीके साथ की हुई सन्धिकी शर्तों के सुधारका कोई प्रबन्ध करेगी और असहयोगको स्थगित करनेका अवसर आवेगा। जहां तक घटना बतलाती है पहली अगस्त भी भारतके इतिहास में उतनाही महत्व रखेगी जितना कि छठी अप्रेल । छठी अप्रेलने रौलट ऐकृपर कुटाराघात किया और वहींसे उसका अन्त शुरू हुआ। जिस आन्दोलनने उसे इस प्रकार नीचे गिराया उसके सामने उसका फिर सिर उठाना कठिन है यपि वह आन्दोलन कुछ दिनके लिये स्थगित कर दिया गया है। इस बातको हमें भली भांति ध्यानमें रखना चाहिये कि यदि हमारेमें इतनी शक्ति है कि हम इस अनचाहती सरकारसे पजाब तथा खिलाफतके मामलोंमें जबर्दस्ती न्याय करा सकते हैं तो निश्चय मानिये कि हम लोग रौलट ऐक भी इससे रह करवा ही लेंगे। हम लोगोंका बल सत्याग्रह है चाहे उसे असहयोग कहिये या सविनय अवक्षा।

पारसाल सत्याग्रह आन्दोलन चलाने में जो घटनायें हो गई उनका स्मरणकर लोग असहयोगके नामसे डरते हैं ! उनको