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(१)हिन्दी सभी उपयोगी विक्योंपर पुस्तकें लिखवाना। तथा अनुवाद करवाना और प्रकाशित करना ।
(२)तत्कालोपयोगी तथा क्षुणिक लाभीक लाभ की पुस्तकोंपर ध्यान न देकर हरजाई साहित्यका ही प्रकाशन करना ।
(३) व्यवसाय आदि जिन विषयों पर सभी पुस्तकें नहीं निकली है उनके लिए यंत्र करना और पुस्तकें लिखवाना।
(४)पुस्तकों का मूल्य इतना सुलभ रचना जिससे साधारण हैसियत आदमी यही उनंस लाभ उठा सकें।
(५) प्रकाशन में हिंदी भाषा देश तथा समाज के कल्याण पर विशेष ध्यान रखना
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१-- परस्पर सदृभाब वह मेंत्री स्थापित करना ।
२--शारीरिक तथा मानसिक उन्नति करते हुए देश समाज कि सेवा करना । विषेश कर सर्वदेशीय वस्तुओं के प्रचार की चेष्टा करना ।
३--समाज में शिक्षा प्रचार के लिए पुस्तकालय खोलना, ब्यखान आदि दिलवाना तथा ज्ञानवर्दक विभाग खोलना जिसमें प्रकाशन आदि रहेंगे।